Monday, 18 September 2023

Can Pakistan claim on name 'India at UN ?(अब अपने देश का नाम INDIA रखेगा Pakistan?)

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G-20 शिखर सम्मेलन के डिनर निमंत्रण में 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' लिखा गया है, जिसके बाद विवाद खड़ा हो गया है। इस निमंत्रण पत्र के आने के बाद देश के नाम बदलने की चर्चा तेज हो गई है। लेकिन क्या आपको पता है कि कभी जिन्ना ने भारत का नाम इंडिया होने का विरोध किया था



 हमारे देश का नाम क्या होगा? क्या इसे भारत कहा जाए या इंडिया। एक बार फिर इसकी चर्चा शुरू हो गई है। राष्ट्रपति भवन की ओर से जी20 डिनर आमंत्रण को 'प्रेसिडेंट ऑफ भारत' की ओर से भेजा गया है। इससे पहले ऐसा लगभग कभी नहीं हुआ है। अंग्रेजी में हमेशा लिखते हुए इंडिया लिखा जाता रहा है। इस आमंत्रण पत्र के आने के बाद से राजनीतिक गलियारों पर चर्चा तेज हो गई है। लेकिन क्या आपको पता है कि इंडिया नाम भारत के पास न जाए, इसका विरोध जिन्ना ने किया था।


अगस्त 1947 में अंग्रेज भारत छोड़ कर चले गए थे। उसके लगभग एक महीने बाद ही लुईस माउंटबेटन ने मोहम्मद अली जिन्ना को एक कला प्रदर्शनी का मानद अध्यक्ष बनने के लिए आमंत्रित किया था। माउंटबेटन जहां भारत तो वहीं जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल थे। इस तरह का आमंत्रण एक औपचारिकता थी। लेकिन तब जिन्ना ने इसका विरोध किया। क्योंकि इस पर हिंदुस्तान की जगह इंडिया लिखा हुआ था। तब जिन्ना ने माउंटबेटन को लिखा, 'यह अफसोस की बात है कि कुछ रहस्यमय कारणों से हिंदुस्तान ने 'इंडिया' शब्द अपना लिया है, जो निश्चित रूप से भ्रामक है और इसका उद्देश्य भ्रम पैदा करना है।'


संविधान में हैं दोनों नाम

ब्रिटिशों नें उपमहाद्वीप में अपने साम्राज्य के नाम के रूप में इंडिया का इस्तेमाल किया, जो मूल रूप से ग्रीक भाषा से जुड़ा था। लेकिन इंडिया के नाम को लेकर देश के अंदर भी विवाद होते रहे हैं। बाद में हमारे संविधान में भारत और इंडिया दोनों पर ही सहमति बनी। संविधान के पहले अनुच्छेद में लिखा है, 'इंडिया अर्थात भारत, राज्यों का एक संघ होगा।' वहीं अगर पाकिस्तान की बात करें तो कुछ दशक पहले जब यह देश अस्तित्व में आया तब एक नया नाम दुनिया ने सुना।


पाकिस्तान कैसे बना?


आमतौर पर हिंदू और मुस्लिम के लिए दो अलग-अलग देश का विचार कवि मुहम्मद इकबाल का माना जाता है. 1930 में मुस्लिम लीग के अधिवेशन में इकबाल ने कहा था कि अगर द्विराष्ट्र सिद्धांत को स्वीकार कर लिया जाता है तो इससे भारत की सांप्रदायिक समस्या का स्थायी समाधान हो जाएगा. 

हालांकि, भारत के बंटवारे और मुसलमानों के लिए अलग मुल्क 'पाकिस्तान' बनाने का विचार पहली बार कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी के छात्र चौधरी रहमत अली के मन में आया था. रहमत अली का मानना था कि ब्रिटिश भारत में जहां-जहां मुसलमानों की आबादी ज्यादा है, उसे अलग राष्ट्र बना देना चाहिए. 

रहमत अली का साफ मानना था कि हिंदू और मुसलमान दो अलग-अलग राष्ट्र या जातियां हैं. दोनों का धर्म, संस्कृति, परंपराएं, साहित्य, कानून... सबकुछ अलग-अलग है. हिंदू और मुसलमान आपस में बैठकर खाते नहीं हैं और यहां तक कि शादी भी नहीं करते. हमारा खाना और पहनावा भी अलग है. 

इसके बाद ही 23 मार्च 1940 को मुस्लिम लीग के लाहौर अधिवेशन में जिन्ना ने कहा था, 'हिंदू और मुसलमान, जिनकी धार्मिक सोच, सामाजिक रीति-रिवाज, साहित्य और दर्शन अलग-अलग हैं. ऐसी दो जातियों को एक राज्य में इकट्ठे बांधने से, जिसमें एक अल्पसंख्यक हो और दूसरा बहुसंख्यक, असंतोष ही बढ़ेगा और राष्ट्र नष्ट हो जाएगा.'


क्या सच में जिन्ना ने इंडिया का विरोध था?

15 अगस्त 1947 को आजादी मिली. बंटवारे के बाद पाकिस्तान बना. लुईस माउंटबेटन भारत के पहले गवर्नर जनरल बने. आजादी से पहले वो वायसराय हुआ करते थे. वहीं, पाकिस्तान के गवर्नर जनरल बने मोहम्मद अली जिन्ना.

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